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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥
नवरात्रि में देवी को प्रसन्न करने के लिए इसका पाठ करें. जानते हैं सिद्ध कुंजिका पाठ की विधि और लाभ.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
इदं तु click here कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे ।
अति गुह्यतरं देवि ! देवानामपि दुलर्भम्।।
चाय वाले को बनाया पिता और टेस्ट ड्राइव के बहाने उड़ाई बाइक, आगरा में शातिर चोर का गजब कारनामा
न कवचं नार्गला-स्तोत्रं, कीलकं न रहस्यकम्।
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलिः
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः ॥ ११ ॥